Sandeep Kumar

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लेखनी कहानी -13-Mar-2024

अच्छा है जो भी हैं अच्छा है 

वह नयन सत प्रतिशत सच्चा है 
नहीं है उसमें किसी प्रकार का फरेब न ही लच्छा है 
क्योंकि दुनिया दारी से उसे तालुकात नहीं है तो कच्चा है 
अच्छा है,,,,,,,,,

कर लेती है तुरंत विश्वास किसी पर 
इतनी भोली भाली cute वह बच्चा है 
कल बल छल जानती नहीं 
गन्ना सा सीधा साधा सच्चा है
अच्छा है,,,,,,,,,

कोमल है हृदय उसकी साफ दिल है 
प्रेम कि दुनिया में ढुंढती मंजिल है
क्या होता है प्रेम जानती भी नहीं 
पुल्कित सी खिली वह फुल कच्चा है
अच्छा है,,,,,,,,,

जीवन कि नव पथ पर सोच उसकी उची उत्तम अच्छा है 
सौंदर्य की देवी मुर्ति दिखती सुंदर हद से अच्छा है
बहुत हिम्मत है उसमें 
भले ही मिट्टी का वह मटका कच्चा है 
अच्छा है,,,,,,,,,

रोज-रोज एक नई कलाकारी
नई पहल उसका अच्छा है
इसीलिए आदि हूं मैं उसका
क्योंकि नेकी दिल सबको लगता अच्छा है
अच्छा है,,,,,,,,,

जौहरी सा पहचानता हूं मैं
हीरा कितना उत्तम अच्छा है
इसीलिए कद्र करता हूं
क्योंकि इस दुनिया में वह कच्चा मिट्टी सा कच्चा है
अच्छा है,,,,,,,,,

उसके बारे में क्या कहना
वह एकदम कोरा कागज सा सादा है
मस्त म्याज रंगीन सी
गोरी कितनी अच्छी है
अच्छा है,,,,,,,,,

चांद सी चमकती सुरत उसकी
यादों का खजाना गुच्छा-गुच्छा है
कितनी भोली भाली वह
कितनी दिखती सच्चा है
अच्छा है,,,,,,,,,

संदीप कुमार अररिया बिहार

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2 Comments

Abhinav ji

14-Mar-2024 09:20 AM

Nice👍

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Punam verma

14-Mar-2024 08:55 AM

Nice👍

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